एक सैनिक युद्ध से संबंधित विशेष समाचार लेकर नेपोलियन के पास आया। उसका घोड़ा इतना थक चुका था कि उसने वहीं दम तोड़ दिया। नेपोलियन ने समाचार पढ़ा और उसका जवाब पत्र में देते हुए सैनिक से कहा, 'तुम्हारा घोड़ा वीरगति पा चुका है। जवाब पहुंचाना जरूरी है, इसलिए तुम मेरे घोड़े पर सवार होकर सेनापति तक मेरा पत्र पहुंचा दो।'
सैनिक को यकीन नहीं हुआ। भला नेपोलियन जैसा शासक उसे अपने सर्वश्रेष्ठ घोड़े पर बैठने को कैसे कह सकता है?
वह बोला, 'मुझ जैसे सामान्य सैनिक का आपके घोड़े पर बैठना ठीक नहीं है। कहां आप और कहां मुझ जैसा सामान्य इंसान। मैं दौड़कर ही जल्दी से जल्दी समाचार पहुंचाने का प्रयास करूंगा।' नेपोलियन बोले,'नहीं, तुम पैदल क्यों जाओगे? दुनिया में ऐसी कोई भी बेहतरीन स्थिति या चीज नहीं, जिस पर तुम्हारा अधिकार न हो। एक सैनिक कुछ भी हासिल कर सकता है। मैं भी निचले स्तर से ऊपर तक पहुंचा हूं। तुम तुरंत इस घोड़े पर सवार होकर यह पत्र सेनानायक तक पहुंचा दो।' नेपोलियन की बात सुनकर सैनिक आश्चर्य में डूबा नेपोलियन के घोड़े को निहारने लगा। उसे हिम्मत न हुई कि वह उस पर सवार हो। उसके मुंह से निकला, 'हुजूर! ऐसे सर्वोत्तम घोड़े पर बैठना आपको ही शोभा देता है। मुझ जैसे मामूली सैनिक के भाग्य में यह नहीं लिखा है। आप आग्रह न करें।'
सैनिक की बात सुनकर नेपोलियन बोले, 'धरती पर कोई भी ऐसी स्थिति या असाधारण वस्तु नहीं, जिसका कोई साधारण व्यक्ति उपयोग न कर सके। वह अपने पौरुष से सबकुछ पा सकता है। व्यक्ति सामान्य से ऊंचे काम करते हुए ही असाधारण बनता है।' नेपोलियन की बात सुनकर सैनिक उसके घोड़े पर सवार होकर चल दिया।
No comments:
Post a Comment